क्या लेकर तू आया जगत में, क्या लेकर तू जाएगा। कुछ सोच समझ रे मनवा, आखिर में पछताएगा।। जीवन की भागदौड़ में मनुष्य अपना उद्देश्य भूल कर यही सांसारिक व्यवस्थाओं में उलझा रहता है जब उससे मनुष्य जीवन का अवसर चला जाता है तो उसके पास केवल पछतावा ही रह जाता है इस मृत्युलोक यानी पृथ्वी लोक पर सभी जीवो को दुखी देखकर स्वयं पूर्ण परमात्मा आते हैं तथा मानव को सत भक्ति व सत्य ज्ञान करवाकर सुखमय स्थान पर यानी सतलोक में ले जाते हैं लेकिन सांसारिक व्यवस्थाओं की उलझन में जीव परमात्मा को नहीं पहचान पाता है तो परमात्मा उसे कहते हैं कि अंत में पछतावा ही होगा जब मनुष्य जीवन छूट जाएगा।